नई दिल्ली, 30 दिसंबर। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री मनोज तिवारी ने दिसंबर की इस कड़कड़ाकी ठंड में दिल्ली के रैन-बसेरों की बदतर हालत पर चिंता जताई है। श्री तिवारी ने कहा कि दिल्ली सरकार रैन-बसेरों की अनदेखी कर रही है। दिल्ली के 221 रैनबसेरों की क्षमता लगभग 17,000 है लेकिन ये राजधानी की बेघर आबादी के आधे लोगों को भी आश्रय देने के लिए पर्याप्त नहीं है। दिल्ली की गरीब विरोधी केजरीवाल सरकार ने आज तक गरीबों को घर नहीं दे पाए और विधानसभा चुनाव नजदीक आने पर गरीबों का हिमायती बनने का दिखावा कर रहे हैं। जमीनी स्तर पर रैन बसेरों में ढेरों खामियां पाई गई हैं। दिल्ली सरकार ने दावा किया था कि उन्होंने सौ से भी ज्यादा रैन बसेरे बनाए हैं, जो सभी सुविधा से लैस हैं लेकिन रैन बसेरों में लोग बिस्तर की कमी के कारण ठंड में जमीन पर सोते मिले। कहीं शौचालयों की स्थिति दयनीय है तो कहीं कई रैन बसेरों में ओपन बाथरूम है जो बेहद गंदे हैं। रैन बसरों की कमी की वजह से जगह-जगह लोग फुटपाथ पर कंपकंपाते नजर आते हैं।
श्री तिवारी ने कहा कि केजरीवाल सरकार का रैन बसेरों का बजट लाखों रुपये है जबकि मुख्यमंत्री उसके प्रचार पर करोड़ों खर्च कर देते हैं। पिछले साल रैन बसेरों के अभाव में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के लिए लोगों की जान इतनी सस्ती है? कोई भूख से मर जाता है, तो कोई ठंड से। रैनबसेरों में जगह की कमी के अलावा कई अन्य समस्याएं भी हैं। इन रैनबसेरों में बेघर महिलाओं के आने पर उनके लिए अलग इंतजाम भी नहीं है न ही उनके सुरक्षा की कोई व्यवस्था। रैन बसेरों के आसपास अराजक लोगों का जमावड़ा लगा रहता है, ज्यादातर लोग नशा करके आते हैं और रात में शोर करते हैं, झगड़ा करते हैं।
श्री तिवारी ने कहा कि दिल्ली के बेघर लोग और रैनबसेरे बनाने और उनमें बेहतर सुविधाओं की मांग कर रहे हैं लेकिन केजरीवाल सुनने को तैयार नहीं हैं, वो तो नई-नई घोषनाएं करने में व्यस्त है। पिछले साल भी भाजपा कार्यकर्ताओं ने बेघरों की सहायता की थी और अनेक कंबल-कपड़े आदि वितरित किए थे, इस साल भी बेघरों के मदद का बीड़ा उठाया हुआ है और ध्यान रख रहे हैं क्योंकि भाजपा के लिए जनसेवा ही सर्वोपरि है।