मुंबई में एक मीडिया हाउस के कार्यक्रम में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पियूष गोयल द्वारा ई कॉमर्स कंपनियों द्वारा एफडीआई नीति के अक्षरश अवश्य पालन करने की चेतावनी देने और इस मुद्दे पर सरकार की मंशा को बेहतरी से स्पष्ट करने के लिए कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) ने श्री गोयल के स्पष्टीकरण की सराहना करते हुए कहा की उनका बयान पूर्ण रूप से बिना किसी लाग लपेट के दिया गया स्पष्ट बयान है जिसे ई कॉमर्स कंपनियों को अब समझ जाना चाहिए की उनकी मनमानी अब और अधिक नहीं चलेगी ! कैट ने अमेज़न और फ्लिपकार्ट दोनों को ‘आर्थिक आतंकवादी करार दिया है और सरकार से मांग की है एफडीआई नीति के प्रावधानों का क्रूरतापूर्वक उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए । कैट ने श्री गोयल से आग्रह किया है कि दोनों कंपनियों को निर्देशित किया जाए की या तो वो अविलम्ब वे दोनों ई-कॉमर्स दिग्गजों को एफडीआई नीति का तुरंत पालन करने को निर्देशित करे या फिर दोनों कंपनियां भारत अपना व्यापार समेटें !
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने श्री गोयल द्वारा दिए गए बयान को सामयिक बताते हुए इस बयान को सबसे स्पष्ट, असंदिग्ध, निर्देशित और मजबूत बयान करार दिया जो सरकार की मंशा को स्पष्ट रूप से व्यक्त करता है। श्री गोयल ने कल के कार्यक्रम में दिए अपने बयान में कहा कि देश में प्रत्येक एफडीआई प्राप्त ई-कॉमर्स कम्पनी को एफडीआई नीति का अक्षरश पालन करना होगा और घरेलू ई-कॉमर्स कंपनियों को भी कानून का पालन करना होगा ताकि रिटेल व्यापार में लगे छोटे खुदरा विक्रेताओं के व्यापार नष्ट न हो !
श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल दोनों ने श्री गोयल से आग्रह किया कि अपने बयान के अनुसरण और सरकार के कानून और नीति की पवित्रता बनाए रखने के लिए अमेज़न एवं फ्लिपकार्ट सहित अन्य ई कंपनियों के खिलाफ गंभीर कदम उठाए जाएं ! ये कंपनियां अपनी कंपनी के मूल्यांकन को बढ़ाने के लिए किसी भी तरह के हथकंडे को अपना रही हैं चाहे इसके लिए उन्हें बड़ा नुकसान ही क्यों न हो ! इन कंपनियों का एकमात्र उद्देश्य छोटे खुदरा विक्रेताओं के कारोबार को कुचलना है। यह कंपनियां वास्तव में “आर्थिक आतंकवादी” है और प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी की 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था की दूरदृष्टि के लिए एक बड़ा रोड़ा हैं ! न्यायशास्त्र के सिद्धांत “कानून एक और सभी के लिए समान है”,का पालन करते हुए जिस प्रकार किसी भी कानून के उल्लंघन के लिए छोटे व्यापारियों को दण्डित किया जाता है उसी प्रकार इन कंपनियों को भी तुरंत दण्डित किया जाए !
श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने आरोप लगाया कि ई-कॉमर्स कंपनियों, ब्रांड कंपनियों और बैंकों का एक अपवित्र कार्टेल बेहद सुनियोजित तरीके से अमेज़न और फ्लिपकार्ट दोनों के ई-कॉमर्स पोर्टल पर लागत से काम मूल्य पर माल बेचने और भारी डिस्काउंट देने के खेल में शामिल हैं ! कैट ने मांग की है तीनों की इस सांठगांठ के खिलाफ व्यापक जांच की जाए और न केवल ई कॉमर्स कंपनियों बल्कि ब्रांड्स और बैंकों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश में कई ब्रांड की कंपनियां अपने उत्पादों को इन कंपनियों को कम कीमत पर बेच रही हैं और अनेक उत्पाद केवल ई कॉमर्स कंपनियों को ही दे रही हैं और ऑफ़लाइन बाजार को कतई नहीं दे रही जिसके चलते ई-कॉमर्स कंपनियां बहुत आसानी से लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचना और भारी डिस्काउंट दे पा रही है
दूसरी तरफ कई बैंक अपने क्रेडिट या डेबिट कार्ड द्वारा ई-कॉमर्स पोर्टलों से सामानों की खरीद पर कैश बैक, प्रोत्साहन स्कीम और विभिन्न तरह के अन्य प्रोत्साहन दे रहे हैं। बैंक ये सुविधा और लाभ केवल ई-कॉमर्स बाजार को दे रहे हैं, न कि ऑफलाइन बाजार को। ब्रांड्स और बैंकों द्वारा इस तरह की सभी सुविधाएं भारतीय रिजर्व बैंक एवं प्रतिस्पर्धा कानून और नीति के प्रावधानों के खिलाफ हैं।