नई दिल्ली, 16 जनवरी। भारतीय जनता पार्टी दिल्ली प्रदेश के नेता सूरज चौहान केजरीवाल सरकार को आईना दिखाया। सूरज चौहान ने प्रमुख तीन बिंदुओं पर केजरीवाल सरकार के झूठे और बेबुनियाद आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए जवाब दिया।
सूरज चौहान ने कहा कि निर्भया आरोपियों की फांसी की सजा को लेकर कोर्ट में लिए गए निर्णय के बाद आम आदमी पार्टी के दोहरे चरित्र का पर्दाफाश किया। कोर्ट की डिविजन बेंच जस्टिस मनमोहन और जस्टिस संगीता ढ़ींगरा ने 22 जनवरी की तारीख को इन दोषियों को सजा देने का ऐलान किया था। अगर इस केस के इतिहास में जाएं, तो इस केस की न्याय प्रकिया में ट्रायल कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक 4 साल लगे थे, लेकिन इसके बाद दिल्ली सरकार के दफ्तरों में 3 साल तक फाइल घूमती रही, जिसके चलते डेथ वॉरेंट पर हस्ताक्षर नहीं हुए थे। इसके बाद जब हैदराबाद प्रकरण के बाद इनके खिलाफ माहौल बना, तब उसके अगले दिन ही इन्होंने उस केस में हस्ताक्षर किए। वैसी ही गलती आम आदमी पार्टी दोबारा कर रही है, पहले राहुल मेहरा 22 तारीख से फांसी को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, फिर कोर्ट से फटकार लगने के बाद केजरीवाल सरकार ने क्षमा याचिका को खारिज किया। यहीं से पता चलता है कि आम आदमी पार्टी की कथनी और करनी में बहुत फर्क है और ये बार-बार जनता की आंख में धूल झोंकना चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि 2019-20 के अंतरिम बजट में महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण मिशन के लिए केंद्र सरकार ने 1330 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है। इस बजट से साफ होता है कि केंद्र सरकार महिला सुरक्षा के लिए कितना प्रतिबद्ध हैं।
इसके उपरांत उन्होंने शिक्षा के मुद्दे पर केजरीवाल सरकार द्वारा फैलाए झूठ की पोल खोलते हुए कहा कि दिल्ली में जबसे केजरीवाल सरकार आई है तब से सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में लगातार गिरावट आई है, आकड़ों पर गौर करें तो दिल्ली में 10वीं कक्षा के परिणाम 2015 में 95.81 प्रतिशत से गिरकर 2019 में 71.58 प्रतिशत हो गए हैं। दिल्ली के स्कूलों में 8614 से ज्यादा अध्यापकों के पद खाली हैं। शिक्षकों के 50 फीसदी और प्रिंसिपल के 70 फीसदी पद खाली हैं। दिल्ली में शिक्षा का ये हाल तब है जब खुद उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शिक्षा मंत्रालय अपने पास रखा हुआ है।