मोदीजी और बढ़ई
एक गाँव में एक बढ़ई रहता था। वह शरीर और बुद्धि से बहुत बली था।
एक दिन उसे पास के गाँव के एक व्यक्ति ने फर्नीचर बनवाने के लिए अपने घर पर बुलाया।
जब वहाँ का काम समाप्त हुआ तो लौटते वक्त सांय हो गई तो उसने काम के मिले पैसों की एक पोटली बगल मे दबा ली और ठंड से बचने के लिए कंबल ओढ़ लिया।
वह चुपचाप सुनसान रास्ते से घर की ओर चला। कुछ दूर जाने के बाद अचानक उसे एक दस्यु ने रोक लिया।
दस्यु शरीर से तो बढ़ई से निर्बल ही था पर उसकी निर्बलता को उसकी बंदूक ने ढक रखा था।
अब बढ़ई ने उसे सामने देखा तो दस्यु बोला, ‘जो कुछ भी तुम्हारे पास है सभी मुझे दे दो नहीं तो मैं तुम्हें गोली मार दूँगा।’
यह सुनकर बढ़ई ने पोटली उस दस्यु को थमा दी और बोला, ‘ ठीक है यह रुपये तुम रख लो मगर मैं घर पहुँच कर अपनी पत्नी को क्या कहुंगा। वो तो यही समझेगी कि मैने पैसे जुए में उड़ा दिए होंगे।
तुम एक काम करो, अपने बंदूक की गोली से मेरी टोपी मे एक छेद कर दो ताकि मेरी पत्नी को लूट का विश्वास हो जाए।’
लुटेरे ने बड़े गर्व से बंदूक से गोली चलाकर टोपी में छेद कर दिया। अब दस्यु जाने लगा तो बढ़ई बोला,
‘एक काम और कर दो, जिससे पत्नी को विश्वास हो जाए कि दस्युओं के गैंग ने मिलकर मुझे लूटा है । वरन मेरी पत्नी मुझे कायर ही समझेगी।
तुम इस कंबल मे भी चार- पाँच छेद कर दो।’ दस्यु ने खुशी खुशी कंबल में भी कई गोलियाँ चलाकर छेद कर दिए।
इसके बाद बढ़ई ने अपना कोट भी निकाल दिया और बोला, ‘इसमें भी एक दो छेद कर दो ताकि सभी गॉंव वालों को विश्वास हो जाए कि मैंने बहुत संघर्ष किया था।’
इस पर दस्यु बोला, ‘बस कर अब। इस बंदूक में गोलियां भी खत्म हो गई हैं।’
यह सुनते ही बढ़ई आगे बढ़ा और दस्यु को दबोच लिया और बोला, ‘मैं भी तो यही चाहता था।
तुम्हारी शक्ति केवल ये बंदूक थी। अब ये भी खाली है। अब तुम्हारा कोई बल मुझ पर नहीं चल सकता है।
चुपचाप मेरी पोटली मुझे वापस दे दे वरना …..
यह सुनते ही दस्यु की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई और उसने तुरंत ही पोटली बढई को वापिस दे दी और अपने प्राण बचाकर वहाँ से भागा।
आज बढ़ई की शक्ति तब काम आई जब उसने अपनी बुद्धि का सही प्रकार से प्रयोग किया।
इसलिए कहते है कि कठिन स्तिथि मे अपनी बुद्धि का अधिक प्रयोग करना चाहिए तभी आप कठिनाईयों से सरलता से निकल सकते हैं।
तो क्या मोदी भी विपक्ष के बंदूक से कारतूस को समाप्त करवा रहे?