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कहीं बैट्री ख़राब तो कहीं छतरियां ग़ायब

रेवाड़ी, 9 दिसंबर।
सरकारी स्कूलों में बेहतर पढ़ाई के लिए एक दशक पहले लगाए गए एजुसेट व डीटीएच ज्यादातर विद्यालयों में देखरेख के अभाव में ख़राब हो चले है। प्राइमरी स्कूलों में DTH की कहीं बैटरियां ख़राब है तो किसी स्कूल में तो छतरियां ही ग़ायब है।
अब निदेशालय से भी लेशन प्लान नही मिल रहा है। जिसके चलते बच्चों को इसका कोई फ़ायदा नही मिल पा रहा है। प्राइमरी स्कूलों में तो इनकी देखरेख के लिए स्कूलों में चौकीदार भी रखे गए थे। ग्रामीण स्कूलों में तो ज्यादातर बिजली की भी दिक्कत रहती है, इससे भी यह इनकी सफ़लता में बड़ी बाधा रही। एजुसेट भी ज्यादातर स्कूलों में बंद ही हो गए है।
राजकीय प्राथमिक शिक्षण संघ की और से इनको दुरुस्त कराने की मांग भी उठाई जाती रही है। लेकिन कोई समाधान आज तक शिक्षा विभाग की और से निकलकर सामने नही आया है।
इसलिए लगाए थे DTH एजुसेट:
प्राइमरी स्कूलों में DTH और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में एजुसेट इसलिए लगाए गए थे कि शिक्षा में गुणात्मक सुधार व विज्ञान विषयों के पाठ्यक्रम सीधे निदेशालय से ही कक्षा अनुसार शेड्यूल जारी होते थे। उसमें उन स्कूलों के बच्चों को भी लाभ होता था कि जिसमें शिक्षकों का अभाव रहता था। उन बच्चों को भी लेशन सीखने के लिए मिल जाते थे। लेकिन अब बताया जा रहा है कि शेड्यूल भी जारी नही होता है। ऐसे में बच्चों को इनका कोई लाभ नही मिल पा रहा है। अब देखना होगा की शिक्षा निदेशालय इसपर क्या संज्ञान लेता है या फ़िर शिक्षा गुणात्मक राम भरोसे ही चलेगी।

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