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कांग्रेस सरकार द्वारा 2008 मेंबनाए गए नियमों को बदलना दिल्ली की जनता से धोखा है – सुभाष चोपड़ा

नई दिल्ली, 21 दिसम्बर, 2019 – दिल्ली की अनाधिकृत कालोनियों में रहने वाले 40 लाख लोगों के साथ केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा केजरीवाल के साथ मिलकर किए गए विश्वासघात व धोखेबाजी के खिलाफ आज कांग्रेस पार्टी ने जोरदार मोर्चा खोलते हुए कल रामलीला मैदान में होने वाली प्रधानमंत्री मोदी की रैली को चुनावी ढकौसला रैली करार दिया है। इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष श्री सुभाष चोपड़ा की मौजूदगी में पूर्व केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री श्री अजय माकन ने दस्तावेजों के साथ अनाधिकृत कालोनियों पर बड़ा खुलासा भी किया। पूर्व मंत्री श्री अरविन्दर सिंह लवली व मुख्य प्रवक्ता श्री मुकेश शर्मा ने भी संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।

प्रदेश कार्यालय में आज अध्यक्ष श्री सुभाष चोपड़ा, पूर्व केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री श्री अजय माकन, पूर्व मंत्री श्री अरविन्दर सिंह लवली, श्री हारुन यूसूफ, मुख्य प्रवक्ता श्री मुकेश शर्मा, श्री राजेश लिलौठिया व श्री चतर सिंह भी मौजूद थे।

श्री सुभाष चोपड़ा ने कहा कि दिल्ली की अनाधिकृत कालोनियों का मसला कांग्रेस के लिए इसलिए अहम है क्योंकि जब-जब केन्द्र व दिल्ली में कांग्रेस की सरकारें रही है अनाधिकृत कालोनियों को न केवल राहत दी गई है बल्कि इनका चहुमुखी विकास भी हुआ है। उन्हांने कहा कि केन्द्र सरकार ने इन कालोनियों के लोगों के साथ बड़ा धोखा किया है।उन्होंने यूपीए की चेयरपरसन श्रीमती सोनिया गांधी के सानिध्य में केन्द्र की डा0 मनमोहन सिंह सरकार द्वारा शहरी विकास मंत्री श्री अजय माकन के कार्यकाल में 2008 में अनाधिकृत कालोनियों के नियमन के लिए जो आसान शर्तें बनाई गई थी, केन्द्र की भाजपा सरकार ने उसके मूल स्वरुप को बदलकर लोगों को बर्बाद करने काम किया है।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री अजय माकन ने केन्द्र की मोदी सरकार व केजरीवाल सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए दोनो सरकारों को अनाधिकृत कालोनियों का दुश्मन करार देते हुए विस्तृत दस्तावेजों के साथ उनकी पोल खोल कर रख दी। उन्होंने कहा कि 2008 में शहरी विकास मंत्री होते हुए जो अधिसूचना जारी की थी व नियम बनाए थे उन्हें दोनो सरकारों ने बदलकर इन कालोनियों के लोगों के खिलाफ मानवीय अपराध किया है, जिसकी सजा दिल्ली की जनता उनको जरुर देगी। श्री माकन ने दोनो सरकारों से 7 सवाल करते हुए मांग की कि केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री श्री हरदीप पुरी पहले इनका जवाब दे, उसके बाद वो रैली करने का अधिकार रखते है। श्री माकन ने सवालों की बौछार लगाते हुए पूछा कि :

1. मालिकाना हक देने का नाटक करने से पहले यह बताया जाए कि कालोनियों के ले-आउट प्लान अभी तक पास क्यों नही किए गए। और उनका लैंड यूज क्यों नही बदला गया। साथ ही 2008 में मेरे कार्यकाल में कालोनियों को नियमित करने संबधी पेरा 5.4 क्यों बदला गया।

2. क्या यह सही नही है कि कि 22 दिसम्बर के बाद जैसे ही आपने इन कालोनियों को नियमित घोषित कर दिया उसके पश्चात लाखों छोटी व बड़ी दुकाने, क्लीनिक, अस्पताल, ऑफिस, गोदाम या अन्य ऐसी कोई भी गतिविधि जो गैर रिहायशी क्षेत्रों में की जा रही है, वह बंद हो जाएगा या सील हो जाएगा। मेरे कार्यकाल में पेरा 3.4 जिसमें रिहायशी के संबध में स्पष्ट उल्लेख था अब 2019 में उसे बदल कर पेरा 5 (10) क्यों डाला गया।

3. क्या यह सही नही है कि सरकार ने सरकारी जमीन तथा प्राईवेट जमीन को इस प्रकार से दोबारा परिभाषित किया है कि लगभग 100 प्रतिशत कालोनियां सरकारी जमीन पर आ जाऐंगी जबकि पहले यह केवल 10 प्रतिशत ही सरकारी जमीन पर आती थी। इस प्रकार 100 प्रतिशत के करीब मालिक सरकार को बढ़े हुए दामों पर शुल्क देंगे जबकि पहले यह शुल्क केवल 10 प्रतिशत मालिक ही दिया करते थे जो कि न के बराबर था। मेरे कार्यकाल में ऐसे नियम नही थे।

4. क्या यह सही नही है कि मालिकाना हक के लिए अलग से कानून बनाने की जरुरत नही थी? 11 जून 2013 को दिल्ली के उपराज्यपाल ने निजी जमीन पर बसी अनाधिकृत कालोनियों में जमीन बेचने व हस्तांरित करने की आज्ञा का आदेश निकाला था। (पेज नः 75 पर नोटिफिकेशन संलग्न है) । अभी भी उन कालोनियां तथा अन्य अनाधिकृत कालोनियों में पंजीकरण हो रहा है जो कि 1977 के आदेश के द्वारा पास की गई थी। जब एक साधारण से नोटिफिकेशन के द्वारा खरीद फरोख्त तथा सम्पति का हस्तांतरण हो सकता है तो संसद के कानून की जरुरत पड़ जाती है और इस श्रेय लेने वाली कार्यवाही की जरुरत कहां रह जाती है।

5. 2019 के रेगुलेशन में पहली बार ‘‘जोन ओ’’ को जोड़ा गया है जिसमें नियमित न हो पाने वाली जमीन पर बसी कालोनियों की सूची दी गई है। क्या यह सही नही है कि सरकार हमारे 28 सितम्बर 2013 के ड्राफ्ट नोटिफिकेशन (83 से 91 पेज पर संलग्न है) जिसके द्वारा जोन ओ में 3,109 हेक्टेयर (जो कि घनी आबादी वाली है तथा जहां जन सुविधाऐं मिली हुई है और जो ज्यादातर यमुना रिवर के दोनो तरफ तकरीबन 300 मीटर दूर हैं) को निकाला गया था । अभी तक सरकार ने अंतिम नोटिफिकेशन क्यों नही निकाला? इस नोटिफिकेशन की अनुपस्थिति में इन क्षेत्रों में रहने वाले 10 लाख से उपर लोगों की गर्दन पर तलवार लटक रही है।

6. क्या यह सही नही है कि “Right of Way fo HT Lines” जिसके द्वारा यह कहा गया है कि उन भूमियों पर बनी हुई उन कालोनियों को पास नही किया जा सकता जिनके उपर से हाई टेन्शन लाईन गई हुई है। इस प्रकार सरकार ने लाखों लोगों को मालिकाना हक देने से वंचित कर दिया है। क्या यह पूर्ववर्ती की कांग्रेस सरकारों के आदेशों के खिलाफ नही है जहां पर पब्लिक प्रोजेक्ट के तहत हाई टेन्शन लाईनों को शिफ्ट करने का आदेश दिया गया था।

7. बढ़े हुए सम्पति हंस्तातरंण शुल्क लोग क्यों दे। आप बताऐ कि क्या यह सच नही है कि पहले और अब में जमीन आसमान का अंतर है। बावजूद इसके कि अनाधिकृत कालोनियों की सारी जमीन, सरकारी जमीन की परिभाषा के अन्तर्गत आ जाऐगी और जुड़ी कालोनियों के लोगों को बढ़े हुए सर्कल रेट के आधार पर अनाप-शनाप सम्पति हस्तांतरण शुल्क देने पड़ेगे।

श्री अरविन्दर सिंह लवली व श्री मुकेश शर्मा ने कहा कि भाजपा व केजरीवाल सरकार के खिलाफ दिल्ली की अनाधिकृत कालोनियों के लोगों से धोखा धड़ी करने का अपराधिक मामला दर्ज होना चाहिए। श्री लवली ने कहा कि दोनो दलों ने इन कालोनियों के खिलाफ एक साजिश के तहत एक षडयंत्र किया है जिसके चलते दिल्ली की 700 से अधिक कालोनियां नियमन से बाहर हो गई है और इन कालोनियों में सीलिंग की तलवार भी लटक गई है। श्री मुकेश शर्मा ने कहा कि मालिकाना अधिकार देने की बात बेमानी साबित हुई है। उन्होंने स्पष्ट रुप से कहा कि 612 कालोनियों की तरह 1797 कालोनियों में भी तुरंत प्रभाव से रजिस्ट्री खोली जाए।

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