
इतिहास गवाह है जो क़ौम लड़ना भूल जाती है उसका अस्तित्व ख़तरे में आ जाता है। एक दौर सम्राट अशोक और सम्राट विक्रमादित्य का था जब भारत की सीमाए ईरान से लेकर Indonesia तक थी। उसके बाद धीरे धीरे छोटे राज्य बनते गए और विदेशी आक्रमणकारी क़ब्ज़ा करते गए। इस लम्बे समय में हम लड़ना भूल गए और सिर्फ़ बचाव की मुद्रा में ही रहे। इसी वजह से हिन्दू अपने ही देश में अपना अस्तित्व बचाने के लिए एक जगह से दूसरी जगह पलायन करते रहे। इसका ताज़ा उदाहरण कश्मीर से हिन्दू पंडितो का पलायन है। पंडितो की तरफ़ से प्रतिकार में एक भी वाक़्या नहीं हुआ क्योंकि कश्मीरी पंडित लड़ना भूल चुके है। जर्मनी में जब हिटलर यहूदियों को मार रहा था तो यहूदियों की तरफ़ से कोई प्रतिकार नहीं हुआ और वे सब सिर्फ़ जान बचाने के लिए भाग रहे थे। जब यहूदियों का अस्तित्व ख़तरे में आ गया तो यहूदियों ने प्रतिकार करना शुरू किया और उसी का परिणाम है कि आज सारी दुनियाँ इन्ही यहूदियों का Israel के रूप में लोहा मानती है। आज यही स्थिति हिन्दुओं की है। हिन्दू लड़ना भूल गया है और इसी वजह से अपने अस्तित्व को बचाने के लिए सुरक्षित जगह पर पलायन करता है। मगर अब हिन्दू चारों तरफ़ से घिर चुका है और हिन्दू के लिए कोई सुरक्षित जगह नहीं बची है। अपना अस्तित्व बचाना है तो हिन्दू को दोबारा से लड़ना सीखना होगा। प्रकृति का यही नियम है *जिसके पास ताक़त है वही सुरक्षित है*।