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शर्णार्थियों का एक वाक्य “शाम के बाद हम सभी अंधे हो जाते हैं” मानवीय संवेदनाओं को हिलाकर रख देता है – श्याम जाजू

नई दिल्ली, 1 जनवरी। पाकिस्तान के हिन्दू शरणार्थियों के मामले में आज राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व दिल्ली के प्रभारी श्री श्याम जाजू के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमण्डल ने अपने प्रतिवेदन के माध्यम से यह आरोप लगाते हुये मिला की, भारतीय संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकार के तहत दी जाने वाली मूलभूत सुविधाओं से वंचित कर हिन्दू शरणार्थी के मामले में केजरीवाल सरकार ने जहां एक तरफ मानव अधिकार का उल्लघंन किया है वहीं दूसरी तरफ इस मामले में आयोग के उस आदेश की अवेहेलना की है जो इन शरणार्थियों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु दी गई थी।

श्री जाजू के साथ आज आयोग को प्रतिवेदन को देने से पहले सिगनेचर ब्रिज और मजनू का टीला स्थित शरणार्थी कैम्प का दौरा किया था जहां केजरीवाल सरकार ने उस मंदिर के बिजली कनेक्शन काट दिये जहां से सिग्नेचर ब्रिज स्थित 125 परिवारों को थोड़ी बहुत रोशनी देने की व्यवस्था थी। वहीं मजनू के टीले में एक जेनसेट के द्वारा दी जा रही बिजली को भी उठा कर ले गये। श्री अमित खड़खड़ी, श्री महेश वर्मा और कुछ मीडियाकर्मी भी उपस्थित थे जिनकी उपस्थिति में वहां की दयनीय स्थिति जो मानवता के नाम पर शर्मसार करने वाली थी उसका एक वीडियो बनाया गया और आज मानव अधिकार आयोग को उसका एक वीडियो पेन ड्राईव में सौंपा गया ताकि बिना किसी देरी के त्वरित कार्यवाई कर सके।

उन्होनें आयोग के समक्ष अपने प्रतिवेदन में उस आदेश का भी वर्णन किया जो 14-06-2019 को पास किया गया था साथ ही उन्होनें वहां के दयनीय स्थिती को लेकर प्रतिवेदन में विस्तृत रूप से चार बिन्दूओं को रेखाकिंत किया जो मुख्य रूप से बिजली, पानी, दवा एवं अन्य मुलभूत सुविधाएं नहीं होने को लेकर है इसके अलावा आयोग के समक्ष उन्होनें मानवीय समाजिक कल्याण हेतु संविधान में प्रदत्त मानव अधिकार के तहत मुलभूत सुविधाओं से वैसे लोगों को कैसे वंचित रख सकती है जो आज नागरिक संशोधन कानून के तहत भारतीय नागरिकता के दर्जा प्राप्त है। इन शरणार्थियों के एक वाक्य मानवीय संवेदनाओं को हिलाकर रख देता है जब वो यह कहते है कि “शाम के बाद हम सभी अंधे हो जाते हैं” ।

उन्होनें कहा कि मौसम की मार और ऐसी बदहाल जिन्दगी जी रहे कई लोग मौत के शिकार हो चुके है बाकि जो वहां रह रहे है उनकी हालत से बद से बदतर होती जा रही है। ऐसे में उनका कहना था कि मानव अधिकार आयोग एक अपनी टीम वहां भेजे और साथ ही बिना किसी देरी के दिल्ली सरकार को यह आदेश दे कि वहां पर मूलभूत सविधाएं हर हाल में मुहैया कराने को सुनिश्चित किया जाये। उनका स्पष्ट मानना था कि नागरिक संशोधन कानून के लाभार्थियों को किस तरह से प्रताड़ित करना केजरीवाल के कहर बरपाने समान है।

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