स्वराज इंडिया ने “शराब नहीं स्वराज चाहिए मुहिम” के तहत मंजू यादव के नेतृत्व मे बिजवासन विधानसभा क्षेत्र में अवैध शराब और नशे के खिलाफ जनसुनवाई का आयोजन किया। जनसुनवाई में बड़ी संख्या में महिलाएं, स्थानीय नागरिक और दिल्ली के कई इलाकों से आए समाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।
जनसुनवाई में महिलाओं ने बताया कि बिजवासन क्षेत्र में अवैध शराब व नशे के जहरीले पदार्थों की बड़े पैमाने पर बिक्री हो रही है और स्थानीय नेताओं व प्रशासन के सहयोग से बिजवासन अब अवैध शराब व ड्रग्स का बहुत बड़ा अड्डा बन चुका है। इस कारण इलाके में छेड़खानी, चेन स्नैचिंग, लूट व चोरी जैसी अपराधिक घटनाएं लगतार बढ़ रही हैं।
स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने जनसुनवाई मे हुए शामिल होते हुए कहा कि दिल्ली ड्रग्स जैस नशे में आज पूरे विश्व में तीसरे नंबर पर पहुंच चुका है। दिल्ली में अवैध शराब व नशे के बढ़ते कारोबार के लिए आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार और बीजेपी की केंद्र सरकार जिम्मेवार है। योगेंद्र यादव ने कहा कि अपने चुनाव घोषणापत्र में आम आदमी पार्टी ने दो वादे किए थे:
दिल्ली को पूरी तरह नशा मुक्त राज्य बनाना और दिल्ली में कहीं भी शराब की दुकान खोलने से पहले मोहल्ले की जनता से नो ऑब्जेक्शन लेना जरूरी होगा।
नशामुक्ति के खिलाफ दिल्ली सरकार से योगेंद्र यादव ने पांच सवाल पूछे:
●1. दिल्ली सरकार ने पिछले 5 साल में नई आबकारी नीति क्यों नहीं बनाई?
●2. पुरानी आबकारी नीति में भी सरकार को शराब का लाइसेंस देने से पहले जनता से पूछने का जो प्रावधान था उसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया?
● 3. शराब की दुकानों की संख्या घटाने की बजाए बढ़ाई क्यों गई? 2014-15 में यह संख्या 768 थी जो 2018-19 में बढ़कर 863 हो गई.
● 4. दिल्ली को नशामुक्त करने की बजाय राज्य में शराब की खपत क्यों बढ़ी? 2014-15 में कुल मिलाकर बक्से शराब बिकी थी जो पहले दो साल में 2016-17 में 2 करोड़ 85 लाख बक्से हो गई।
● 5. कहीं इस सब के पीछे राजस्व और दो नंबर की कमाई का लालच तो नहीं है? शराब के टैक्स से 2014-15 में जो 3422 करोड़ रुपए की आमदनी हुई वो 2018-19 में बढ़कर 5026 करोड़ हो गई। इसे 2019 में 6000 करोड़ करने का लक्ष्य है।
इसका मतलब दिल्ली सरकार ने लक्ष्य बना लिया है कि दिल्ली के लोगों को अधिक से अधिक शराब पिलाकर पैसा कमाएगी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रदेश
स्वराज इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष कर्नल जयवीर के अनुसार दिल्ली सरकार अपने विज्ञापन पर करोड़ों रुपए खर्च कर दिए लेकिन नशामुक्ति पर एक साल में मात्र 1.79 लाख खर्च किए, इससे पता चलता है कि दिल्ली सरकार नशे जैसे गंभीर समस्या के प्रति कितना संवदेनशील है।
महासचिव नवनीत तिवारी ने कहा कि सरकार और प्रशासन के सहयोग से आज दिल्ली नशे की राजधानी बन चुकी है। दिल्ली सरकार के सर्वे में 70 हजार बच्चे ड्रग्स के शिकार पाए गए। इसलिए स्वराज इंडिया अवैध शराब व नशे के खिलाफ दिल्ली के सभी क्षेत्रों में मुहिम चलाएगी, क्योंकी इस जानलेवा समस्या से परिवार बर्बाद हो रहे हैं व महिलाओं के लिए सुरक्षा का संकट और बढ़ रहा है।