
दिल्ली | बेरोज़गारी के खिलाफ चल रहे राष्ट्रव्यापी आंदोलन युवा-हल्लाबोल ने केंद्र सरकार की आम बजट को धोखा और युवाओं के लिए अत्यंत अफोसोजनक बताया है।
आंदोलन के मुखिया अनुपम ने कहा कि यह बजट अफसोसजनक इसलिए है क्यूंकि वर्तमान में देश की सबसे बड़ी समस्या बेरोज़गारी से निपटने का कोई ठोस कदम नहीं है।
और धोखा इसलिए कि कुछ न होने के बावजूद पूरे बजट के दौरान “युवा, एस्पिरेशनल इंडिया, डेमोग्रेफिक डिविडेंड, यूथ” जैसे शब्द बार बार बोलते रहे। यह बजट भाषण युवाओं के मुद्दे का समाधान करने की बजाए सिर्फ गुमराह करने की कोशिश करती रही।
अनुपम ने कहा कि भारत के सामने आज कई तरह की चुनौतियां हैं! 45 साल की रिकॉर्डतोड़ बेरोजगारी है। हर दो घन्टे 3 बेरोज़गार आत्महत्या कर रहे हैं और प्रतिदिन 36 स्वरोजगार-धारी आत्महत्या कर रहे हैं। गरीबी भुखमरी ऐसी बढ़ रही है कि देश में नमक और दाल तक की खपत घट गयी है। 20 से 34 वर्षीय 40% युवाओं को शिक्षा, रोजगार, या ट्रेनिंग में से कुछ नहीं कर पा रहे। इस भयावह परिस्थिति में ज़रूरत थी कि बड़े जनादेश से बनी यह मजबूत सरकार देश को सही दिशा देने के लिए ठोस कदम उठाती। अनुपम ने सवाल किया कि आखिर किस देश का बजट है यह जो भारत की चुनौतियों को एड्रेस ही नहीं करता?
ज्ञात हो कि बुधवार को प्रेस वार्ता करके अनुपम समेत युवा-हल्लाबोल के नेताओं गोविंद मिश्रा और श्वेता ढुल ने बजट से युवाओं की अपेक्षा को चिन्हित किया था। युवा-हल्लाबोल की मांग थी कि सरकार बेरोज़गारों का राष्ट्रीय रजिस्टर बनवाये ताकि समस्या से निपटने के लिए सटीक योजनाएं और उचित क्रियान्वयन हो सके। लेकिन अफसोस कि पूरे बजट में मोदी सरकार ने NRU या ऐसे किसी रजिस्टर का कोई जिक्र नहीं किया।
बजट से युवा-हल्लाबोल ने NRU लाने के अलावा सरकारी नौकरियों में खाली पदों का ब्यौरा और भरने की योजना मांगी थी। इसपर भी सरकार चुप्पी साधे हुए है और किसी को पता नहीं कि लाखों खाली पड़े पद कब और कैसे भरे जाएंगे।
बेरोज़गारी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करते हुए ‘रोज़गार के अधिकार’ का कानून प्रस्तावित करने की भी मांग थी जिसपर इस बजट में कुछ भी नहीं था।
अनुपम ने कहा कि अब जबकि सरकार ने बेरोज़गारी दूर करने की ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है तो युवा एकजुटता के माध्यम से युवा-हल्लाबोल इस मुहिम को ज़ोर शोर से उठाएगा।