नन्हें मुन्नों की दर्दभरी कहानी सुन हैरान रह गए विधायक
रेवाड़ी 18 दिसंबर।
एंकर: करीब 100 साल पुरानी खंडहर बिल्डिंग, टूटी डेस्क, कीड़े वाला बदबूदार पानी, टपकती छतें, काले धुएं से अटी दीवारें। यह कोई भूतिया हवेली नहीं, बल्कि देश का भविष्य कहलाने वाले उन नौनिहालों के लिए बना शिक्षा का मंदिर है, जहां पढ़ने वाले बच्चे चिल्ला चिल्ला कर कह रहे हैं; खट्टर अंकल मौत की इस बिल्डिंग से बाहर निकालो, हमें डर लगता है कहीं बिल्डिंग गिर ना जाए।
जी हां, दरअसल हम बात कर रहे हैं रेवाड़ी शहर के बीचों बीच स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला नंबर 4 की, जिसे लेकर स्कूल स्टाफ और नौनिहालों द्वारा पिछले कई सालों में शिक्षा विभाग से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों और सरकार तक गुहार लगाई गई, लेकिन आज तक किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। जैसे ही यह खबर खट्टर सरकार में कांग्रेसी विधायक चिरंजीव राव को लगी तो वे अपने समर्थकों सहित सुबह सवेरे ही स्कूल का निरीक्षण करने पहुंच गए।
अचानक विधायक को स्कूल में देख नन्हे-मुन्ने बच्चों ने उन्हें बताया कि स्कूल में टॉयलेट तक की व्यवस्था नहीं है। बरसात के दिनों में जहां स्कूल पानी से लबालब भर जाता है तो वही साल भर उन्हें गंदा और बदबूदार पानी पीने के लिए विवश होना पड़ रहा है। इसके साथ ही छतें टपकती हैं और कभी भी गिरने का खतरा उनके सिर पर मंडराया रहता है। चूल्हे पर जब मिड-डे-मील पकाया जाता है तो पढ़ने की बजाय उनके आंखों से आंसू टपकने लगते हैं, क्योंकि धुएं का गुबार पूरे स्कूल में भर जाता है।
बच्चों की यह दर्द भरी कहानी सुनकर विधायक भी हैरान रह गए कि आज तक ना तो सरकार और ना ही प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि हमारे लिए बच्चों का भविष्य बेहद जरूरी है, लेकिन जिस तरह सरकार सर्व शिक्षा अभियान और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देते नहीं थक रही। वही स्वच्छ भारत जैसा यहां कुछ नहीं है और सरकार के दावे सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सिमट कर रह गए हैं। उन्होंने माना कि स्कूल में बहुत सारी खामियां हैं, जिसे लेकर वे उपायुक्त से बात करेंगे और नौनिहालों के लिए बने इस शिक्षा के मंदिर को शिफ्ट कराने या दुरुस्त कराने के लिए कोई विकल्प जल्द ही ढूंढा जाएगा।
जब इसे लेकर स्कूल के शिक्षकों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उपायुक्त की तरफ से उन्हें जल्द समाधान का आश्वासन मिला है। उन्होंने भी जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग से स्कूल के लिए अलग से जगह देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ नहीं है और मजबूरी में बच्चों को जमीन पर बैठ आना पड़ता है।
हालांकि हाल ही में स्कूल की मरम्मत के लिए कुछ फंड मिला है, जिससे टूटी बेंचों को ठीक कराया जाएगा, लेकिन लगता नहीं कि प्रशासन इस तरह कोई ध्यान देगा, क्योंकि पिछले कई सालों से लगातार यह मामला मीडिया की सुर्खियां बन चुका है और हर बार स्कूल को शिफ्ट कराने का आश्वासन देकर कुंभकर्णी नींद सो रहे अधिकारियों द्वारा मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
आपको बता दें कि इस स्कूल में कुल 59 बच्चे और दो अध्यापक हैं।
अब देखना होगा कि कांग्रेसी विधायक का यह दौरा कितना कारगर साबित होता है। क्या बच्चों को पढ़ने के लिए नया भवन मिल पाएगा या फिर उन्हें इन समस्याओं से यूं ही दो-चार होना पड़ता रहेगा